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{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
|संग्रह=
}}
[[Category:चोका]]
<poem>
तुम न होते
बुझ जाता दीपक,
सींच नेह से
जला दिया तुमने
चौराहे पर
'''ओट हाथ की दे दी'''
आँधी को रोका
फूत्कार-भय त्यागा
नागों को नाथा ।
यह कैसे हो पाता
बिना तुम्हारे
हम जी पाते कैसे
बिना सहारे
दंशित नस -नस
काल सामने
'''तुमने मन्त्र पढ़े
विष सदा उतारा'''
-0-
</poem>