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छलक न जाना / रंजन कुमार झा

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गालों पर तुम छलक न जाना
अश्रु नहीं, ये गंगाजल है, समझ रहे तुम आँसू जिनको पूजन हित ये खिले कमल हैं वो सबके सब गंगाजल हैँदिलहृद-मंदिर के देवों के सिर
चढ़ने वाले नीर धवल हैं
इसे भाव की स्याही में भर
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