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छलक न जाना / रंजन कुमार झा
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14:03, 1 अगस्त 2018
गालों पर तुम छलक न जाना
अश्रु नहीं, ये गंगाजल है,
समझ रहे तुम आँसू जिनको
पूजन हित ये खिले कमल हैं
वो सबके सब गंगाजल हैँ
दिल
हृद
-मंदिर के देवों के सिर
चढ़ने वाले नीर धवल हैं
इसे भाव की स्याही में भर
Rahul Shivay
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