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"वतन का गीत / गोरख पाण्डेय" के अवतरणों में अंतर
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− | हमारे वतन की नई ज़िन्दगी हो | + | हमारे वतन की नई ज़िन्दगी हो, |
− | नई ज़िन्दगी इक मुकम्मिल ख़ुशी | + | नई ज़िन्दगी इक मुकम्मिल ख़ुशी हो। |
− | नया हो गुलिस्ताँ नई बुलबुलें हों | + | नया हो गुलिस्ताँ नई बुलबुलें हों, |
− | मुहब्बत की कोई नई रागिनी | + | मुहब्बत की कोई नई रागिनी हो। |
− | न हो कोई राजा न हो रंक कोई | + | न हो कोई राजा, न हो रंक कोई, |
− | सभी हों बराबर सभी आदमी | + | सभी हों बराबर सभी आदमी हों। |
− | न ही हथकड़ी कोई फ़सलों को डाले | + | न ही हथकड़ी कोई फ़सलों को डाले, |
− | हमारे दिलों की न सौदागरी | + | हमारे दिलों की न सौदागरी हो। |
− | ज़ुबानों पे पाबन्दियाँ हों न कोई | + | ज़ुबानों पे पाबन्दियाँ हों न कोई, |
− | निगाहों में अपनी नई रोशनी | + | निगाहों में अपनी नई रोशनी हो। |
− | न अश्कों से नम हो किसी का भी दामन | + | न अश्कों से नम हो किसी का भी दामन, |
− | न ही कोई भी क़ायदा हिटलरी | + | न ही कोई भी क़ायदा हिटलरी हो। |
− | सभी होंठ आज़ाद हों मयक़दे में | + | सभी होंठ आज़ाद हों मयक़दे में, |
− | कि गंगो-जमन जैसी दरियादिली | + | कि गंगो-जमन जैसी दरियादिली हो। |
− | + | नए फ़ैसले हों नई कोशिशें हों, | |
− | + | नई मंज़िलों की कशिश भी नई हो। | |
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01:37, 1 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण
हमारे वतन की नई ज़िन्दगी हो,
नई ज़िन्दगी इक मुकम्मिल ख़ुशी हो।
नया हो गुलिस्ताँ नई बुलबुलें हों,
मुहब्बत की कोई नई रागिनी हो।
न हो कोई राजा, न हो रंक कोई,
सभी हों बराबर सभी आदमी हों।
न ही हथकड़ी कोई फ़सलों को डाले,
हमारे दिलों की न सौदागरी हो।
ज़ुबानों पे पाबन्दियाँ हों न कोई,
निगाहों में अपनी नई रोशनी हो।
न अश्कों से नम हो किसी का भी दामन,
न ही कोई भी क़ायदा हिटलरी हो।
सभी होंठ आज़ाद हों मयक़दे में,
कि गंगो-जमन जैसी दरियादिली हो।
नए फ़ैसले हों नई कोशिशें हों,
नई मंज़िलों की कशिश भी नई हो।