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"विस्मृति / मनमोहन" के अवतरणों में अंतर

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अब उसके पास नहीं है<br><br>
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शर्मनाक समय<br><br>
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कैसा शर्मनाक समय है<br>
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जीवित मित्र मिलता है<br>
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तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति<br>
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उपस्थित रहती है<br><br>
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और उस स्मृति के प्रति<br>
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बची खुची कृतज्ञता <br><br>
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या कभी कोई मिलता है<br>
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अपने साथ खु़द से लम्बी <br>
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अपनी आगामी छाया लिए
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20:39, 5 अक्टूबर 2018 के समय का अवतरण

एक दिन उसने पानी को स्पर्श करना चाहा

तब पानी नहीं था
त्वचा व्याकुल थी काँटे की तरह
उगी हुई पुकारती हुई

यही मुमक़िन था
कि वह त्वचा को स्पर्श से हमेशा के लिए
अलग कर दे

तो इस तरह स्पर्श से स्पर्श
यानी जल अलग हुआ
और उसकी जगह
ख़ाली प्यास रह गई

किसी और दिन किसी और समय
मोटे काँच के एक सन्दूक में
बनावटी पानी बरसता है
जिसे वह लालच से देखता है
लगातार

पानी की कोई स्मृति
अब उसके पास नहीं है