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"शर्मनाक समय / मनमोहन" के अवतरणों में अंतर

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कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है  
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तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति  
 
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उपस्थित रहती है
  
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और उस स्मृति के प्रति
 
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बची खुची कृतज्ञता  
और उस स्मृति के प्रति  
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बची-खुची कृतज्ञता  
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या कभी कोई मिलता है
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अपने साथ ख़ुद से लम्बी
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अपनी आगामी छाया लिए !
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या कभी कोई मिलता है
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अपने साथ ख़ुद से लम्बी
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अपनी आगामी छाया लिए
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20:43, 5 अक्टूबर 2018 का अवतरण

कैसा शर्मनाक समय है
जीवित मित्र मिलता है
तो उससे ज़्यादा उसकी स्मृति
उपस्थित रहती है

और उस स्मृति के प्रति
बची खुची कृतज्ञता

या कभी कोई मिलता है
अपने साथ ख़ुद से लम्बी
अपनी आगामी छाया लिए