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ताल्लिन / सिर्गेय तिमफ़ेइफ़ / अनिल जनविजय
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11:04, 14 नवम्बर 2018
हलकान नहीं किया
हर जगह वे मिले उनसे और
उनके साथ-साथ घूमे
-
फिरे।
उन दिनों शहर में हो रहा था
वह अब सिगार नहीं पी रहा था,
लेकिन उसके तम्बाकू के बटुवे से
आ रही थी अभी भी मीठी
गंध
गन्ध
तम्बाकू की।
और
अनिल जनविजय
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