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हलकान नहीं किया
हर जगह वे मिले उनसे और
उनके साथ-साथ घूमे -फिरे।
उन दिनों शहर में हो रहा था
वह अब सिगार नहीं पी रहा था,
लेकिन उसके तम्बाकू के बटुवे से
आ रही थी अभी भी मीठी गंधगन्ध
तम्बाकू की।
और
आम तौर पर जहाँ बजता रहता था संगीत और चाय पीते थे लोग।
वे गर्मियों के दिन थे, और अच्छे दोस्तों के लिए
सहज था सब कुछ। कोई भी होशियारी होशियार नहीं बना हुआ था
वे खरीदारी करने गए थे एक साथ।
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