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"काँपता सा वर्ष नूतन / 'सज्जन' धर्मेन्द्र" के अवतरणों में अंतर
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+ | पग डगमगाएँ | ||
+ | साल जाता है पुराना | ||
+ | सौंप कर घायल दुआएँ | ||
+ | आरती है | ||
+ | अधमरी सी | ||
+ | रोज़ बम से चोट खाकर | ||
+ | मंदिरों के गर्भगृह में | ||
+ | छुप गए भगवान जाकर | ||
+ | काम ने निज पाश डाला | ||
+ | सब युवा बजरंगियों पर | ||
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+ | साहसों को जकड़ बैठीं | ||
+ | वृद्ध मंगल कामनाएँ | ||
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+ | प्रगति बंदी हो गई है | ||
+ | जेल हैं स्विस बैंक लॉकर | ||
+ | रोज लूटें लाज | ||
+ | घोटाले | ||
+ | ग़रीबी की यहाँ पर | ||
+ | न्याय सोया है | ||
+ | समितियों की सुनहली ओढ़ चादर | ||
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+ | दमन के हैं खेल निर्मम | ||
+ | क्रांति हम कैसे जगाएँ | ||
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+ | लपट लहराकर उठेगी | ||
+ | बंदिनी इस आग से जब | ||
+ | जलेंगे सब दनुज निर्मम | ||
+ | स्वर्ण लंका गलेगी तब | ||
+ | पर न जाने | ||
+ | राम का वह राज्य | ||
+ | फिर से आएगा कब | ||
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+ | जब कहेगा समय | ||
+ | आओ | ||
+ | वर्ष नूतन मिल मनाएँ | ||
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09:58, 21 जनवरी 2019 के समय का अवतरण
काँपता सा वर्ष नूतन
आ रहा
पग डगमगाएँ
साल जाता है पुराना
सौंप कर घायल दुआएँ
आरती है
अधमरी सी
रोज़ बम से चोट खाकर
मंदिरों के गर्भगृह में
छुप गए भगवान जाकर
काम ने निज पाश डाला
सब युवा बजरंगियों पर
साहसों को जकड़ बैठीं
वृद्ध मंगल कामनाएँ
प्रगति बंदी हो गई है
जेल हैं स्विस बैंक लॉकर
रोज लूटें लाज
घोटाले
ग़रीबी की यहाँ पर
न्याय सोया है
समितियों की सुनहली ओढ़ चादर
दमन के हैं खेल निर्मम
क्रांति हम कैसे जगाएँ
लपट लहराकर उठेगी
बंदिनी इस आग से जब
जलेंगे सब दनुज निर्मम
स्वर्ण लंका गलेगी तब
पर न जाने
राम का वह राज्य
फिर से आएगा कब
जब कहेगा समय
आओ
वर्ष नूतन मिल मनाएँ