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|रचनाकार=राजेराम भारद्वाज
|अनुवादक=
|संग्रह=सन्दीप कौशिक
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{{KKCatHaryanaviRachna}}
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(4) सांग:– सत्यवान-सावित्री & (अनुक्रमांक-3 )
जवाब – देबीमाई और राजा का।
'''प्रकट होगी देबीमाई, चलकै ब्रहमलोक तै आई, राजन् आज तेरे अस्थान मैं,''''''री देबी चाहू देखणी, एक बर तेरी शान मैं ।। टेक ।।'''
यज्ञ-हवनए हवन तप-अराधना, करते वर्ष बितगे अठारा,
प्रजा न्याकारी राजा, गऊ ब्रहामण का प्यारा,
म्हारा बेड़या परा लगाईए, राजन् मांग तनै जो चाहिए,
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