गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
ग़ज़ल / उमेश बहादुरपुरी
1 byte removed
,
09:34, 13 मार्च 2019
रुक सकऽ हऽ कभिओ नञ् तूँ मंजिल के पहिले
जेकर जवाब मिल सकऽ हे ऊ लाजबाब नञ् हे
पियेवाला
.
...
</poem>
सशुल्क योगदानकर्ता ४
762
edits