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"दुलहा हैन्डसम / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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अप्पन सोना जइसन देहिया न´् जलाबऽ बबुआ।
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अप्पन सोना जइसन देहिया नञ्  जलाबऽ बबुआ
भरल जुआनी में तों मउत न´् बुलाबऽ बबुआ।।
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भरल जुआनी में तों मउत नञ्  बुलाबऽ बबुआ
 
अप्पन .....
 
अप्पन .....
बड़ी रे जतन से मिललो तोहरा कंचन-काया।
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बड़ी रे जतन से मिललो तोहरा कंचन-काया
देहिया पर लगऽ हो काहे न´् तोहरा कोय माया।
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देहिया पर लगऽ हो काहे नञ् तोहरा कोय माया
जिनगी के रहते तों तो न´् अकुलाबऽ बबुआ।।
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जिनगी के रहते तों तो नञ् अकुलाबऽ बबुआ
 
भरल ....
 
भरल ....
पोरे-पोरे चढ़ जइतो निकोटीन के जहरबा।
+
पोरे-पोरे चढ़ जइतो निकोटीन के जहरबा
उजड़ जइतो गउआँ आउ उजड़ जइतो शहरवा।
+
उजड़ जइतो गउआँ आउ उजड़ जइतो शहरवा
दम्माँ-खाँसी से तों हाँथ न´् मिलाबऽ बबुआ।।
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दम्माँ-खाँसी से तों हाँथ नञ् मिलाबऽ बबुआ
 
भरल .....
 
भरल .....
मइया-बहिनी के हकय तोहरे पर असरबा।
+
मइया-बहिनी के हकय तोहरे पर असरबा
मेहररूआ रोबऽ हो घरे पकड़ के अँचरबा।
+
मेहररूआ रोबऽ हो घरे पकड़ के अँचरबा
तों तो हर कोय के अब असरा पुराबऽ बबुआ।।
+
तों तो हर कोय के अब असरा पुराबऽ बबुआ
 
भरल ....
 
भरल ....
तोहर नसवा के फेर में बिगड़ गेलो दसवा।
+
तोहर नसवा के फेर में बिगड़ गेलो दसवा
बोलऽ हऽ तों रात-दिन बिगड़ल-बिगड़ल भसवा।
+
बोलऽ हऽ तों रात-दिन बिगड़ल-बिगड़ल भसवा
तों ई देहिया के अइसे न´् गलाबऽ बबुआ।।
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तों ई देहिया के अइसे नञ् गलाबऽ बबुआ
 
भरल ....
 
भरल ....
बुढ़िया मइया के तों हा अँखियन के तारा।
+
बुढ़िया मइया के तों हा अँखियन के तारा
तों अइसे न´् बुझाबऽ अपन भाग के सितारा।
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तों अइसे नञ् बुझाबऽ अपन भाग के सितारा
टी.वी. कैंसर के तों संगे न´् सुलाबऽ बबुआ।।
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टी.वी. कैंसर के तों संगे नञ् सुलाबऽ बबुआ
 
भरल ....
 
भरल ....
बेटा आउ बेटी के भेजऽ पढ़ेले इसकुलवा।
+
बेटा आउ बेटी के भेजऽ पढ़ेले इसकुलवा
लइतो एक-दिन जीत के बेसकिमती मेडलवा।
+
लइतो एक-दिन जीत के बेसकिमती मेडलवा
तों तो पीये ले छोड़ पइसवा बचावऽ बबुआ।।
+
तों तो पीये ले छोड़ पइसवा बचावऽ बबुआ
 
भरल ....
 
भरल ....
नउका रे किरिंगिया कर रहलो हे इशारा।
+
नउका रे किरिंगिया कर रहलो हे इशारा
अब छँट गेलय अँधरिया होलय भोर-भिन्सारा।
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अब छँट गेलय अँधरिया होलय भोर-भिन्सारा
तों तो नउका रहिया चलके देखलाबऽ बबुआ।।
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तों तो नउका रहिया चलके देखलाबऽ बबुआ
 
भरल .....
 
भरल .....
  
 
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12:35, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण

अप्पन सोना जइसन देहिया नञ् जलाबऽ बबुआ
भरल जुआनी में तों मउत नञ् बुलाबऽ बबुआ
अप्पन .....
बड़ी रे जतन से मिललो तोहरा कंचन-काया
देहिया पर लगऽ हो काहे नञ् तोहरा कोय माया
जिनगी के रहते तों तो नञ् अकुलाबऽ बबुआ
भरल ....
पोरे-पोरे चढ़ जइतो निकोटीन के जहरबा
उजड़ जइतो गउआँ आउ उजड़ जइतो शहरवा
दम्माँ-खाँसी से तों हाँथ नञ् मिलाबऽ बबुआ
भरल .....
मइया-बहिनी के हकय तोहरे पर असरबा
मेहररूआ रोबऽ हो घरे पकड़ के अँचरबा
तों तो हर कोय के अब असरा पुराबऽ बबुआ
भरल ....
तोहर नसवा के फेर में बिगड़ गेलो दसवा
बोलऽ हऽ तों रात-दिन बिगड़ल-बिगड़ल भसवा
तों ई देहिया के अइसे नञ् गलाबऽ बबुआ
भरल ....
बुढ़िया मइया के तों हा अँखियन के तारा
तों अइसे नञ् बुझाबऽ अपन भाग के सितारा
टी.वी. कैंसर के तों संगे नञ् सुलाबऽ बबुआ
भरल ....
बेटा आउ बेटी के भेजऽ पढ़ेले इसकुलवा
लइतो एक-दिन जीत के बेसकिमती मेडलवा
तों तो पीये ले छोड़ पइसवा बचावऽ बबुआ
भरल ....
नउका रे किरिंगिया कर रहलो हे इशारा
अब छँट गेलय अँधरिया होलय भोर-भिन्सारा
तों तो नउका रहिया चलके देखलाबऽ बबुआ
भरल .....