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|रचनाकार=उमेश बहादुरपुरी
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|संग्रह=संगम / उमेश बहादुरपुरी
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<poem>
न अठारह से ऊपर न सोलह से कम।कमचाही लड़की एटमबम, चाही लड़की एटमबम।।एटमबमगाल गुलाबी चाहिए नैन शराबी चाहिए।चाहिएऊ लड़की में कोय न´् नञ् खराबी चाहिए।चाहिएन बिलकुल हो ठंढा न´् नञ् जादे गरम।। गरमचाही ....नाटी चाहिए न दाल छाँटी चाहिए।चाहिएसोलहो आना हमरा माल खाँटी चाहिए।चाहिएकहके जो बोलवे तनी सुनऽ ए बलम।। बलमचाही ....शर्मीली चाहिए न कँटीली चाहिए।चाहिएहमरा बस एगो छइल छबीली चाहिए।चाहिएपरदा वाली चाही न चाही बेशरम।। बेशरमचाही ....चंपा चाहिए न चमेली चाहिए।चाहिएहमरा बस एगो अलबेली चाहिए।चाहिएसुबह-शाम जे खिलाबे रोटी गरमा गरम।। गरमचाही ....
</poem>