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"मार देथिन पीस के / उमेश बहादुरपुरी" के अवतरणों में अंतर

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हम्मर उमर हे बाबू बीस के,
 
हम्मर उमर हे बाबू बीस के,
ई धनियाँ हथिन तीस के हो।
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ई धनियाँ हथिन तीस के हो
 
डर लागे हमरा ई बात के,
 
डर लागे हमरा ई बात के,
ई मार देथिन पीस के हो। हम्मर ....
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ई मार देथिन पीस के हो
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हम्मर ....
 
हम हीऐ करिआ ई हथिन सामर,
 
हम हीऐ करिआ ई हथिन सामर,
हम ही ठिंगना ई हथिन लम्हर।
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हम ही ठिंगना ई हथिन लम्हर
 
रहे ले चाही हम तो दूर-दूर,
 
रहे ले चाही हम तो दूर-दूर,
ई लाबे हमरा खींच के हो।। डर ....
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ई लाबे हमरा खींच के हो
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डर ....
 
इनखा देखके डर ऐसन लागे,
 
इनखा देखके डर ऐसन लागे,
भूत बैताल देख लोक जइसे भागे।
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भूत बैताल देख लोक जइसे भागे
 
ई चाभे ले दिखावे हमरा दाँत,
 
ई चाभे ले दिखावे हमरा दाँत,
अप्पन बत्तीस से हो।। डर ....
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अप्पन बत्तीस से हो
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डर ....
 
हम भागी दूर ई कहे बनऽ तिरसठ,
 
हम भागी दूर ई कहे बनऽ तिरसठ,
बना देबो सइयाँ जी तोहरा लंपट।
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बना देबो सइयाँ जी तोहरा लंपट
 
कइसुँ करके कर दऽ ए बाबा,
 
कइसुँ करके कर दऽ ए बाबा,
रिश्ता दुनहुँ के छत्तीस के हो।। डर ....
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रिश्ता दुनहुँ के छत्तीस के हो
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डर ....
 
रात हो या दीन कहे चलऽ संग-संग,
 
रात हो या दीन कहे चलऽ संग-संग,
रख देलक करके हमरा तंग-तंग।
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रख देलक करके हमरा तंग-तंग
 
हमरा पर उतारे रात रात भर,
 
हमरा पर उतारे रात रात भर,
ई तो अप्पन खीस के हो।। डर ....
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ई तो अप्पन खीस के हो
एकरा से बढ़ियाँ रहतूँ हल कुँआरे।
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डर ....
ऐसन मेहररूआ के, के अब सम्हारे।
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एकरा से बढ़ियाँ रहतूँ हल कुँआरे
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ऐसन मेहररूआ के, के अब सम्हारे
 
ई रख देलक अपन मसिनियाँ में,
 
ई रख देलक अपन मसिनियाँ में,
हमरा के घीस के हो।। डर .....
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हमरा के घीस के हो
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डर .....
  
 
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12:46, 14 मार्च 2019 के समय का अवतरण

हम्मर उमर हे बाबू बीस के,
ई धनियाँ हथिन तीस के हो
डर लागे हमरा ई बात के,
ई मार देथिन पीस के हो
हम्मर ....
हम हीऐ करिआ ई हथिन सामर,
हम ही ठिंगना ई हथिन लम्हर
रहे ले चाही हम तो दूर-दूर,
ई लाबे हमरा खींच के हो
डर ....
इनखा देखके डर ऐसन लागे,
भूत बैताल देख लोक जइसे भागे
ई चाभे ले दिखावे हमरा दाँत,
अप्पन बत्तीस से हो
डर ....
हम भागी दूर ई कहे बनऽ तिरसठ,
बना देबो सइयाँ जी तोहरा लंपट
कइसुँ करके कर दऽ ए बाबा,
रिश्ता दुनहुँ के छत्तीस के हो
डर ....
रात हो या दीन कहे चलऽ संग-संग,
रख देलक करके हमरा तंग-तंग
हमरा पर उतारे रात रात भर,
ई तो अप्पन खीस के हो
डर ....
एकरा से बढ़ियाँ रहतूँ हल कुँआरे
ऐसन मेहररूआ के, के अब सम्हारे
ई रख देलक अपन मसिनियाँ में,
हमरा के घीस के हो
डर .....