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"मोहें गहना ना गढ़ावा / बोली बानी / जगदीश पीयूष" के अवतरणों में अंतर
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09:24, 18 मार्च 2019 के समय का अवतरण
गोरी गावे कजरी
घिरि आई बदरी
गावे ग्वाल बाल कनवा उटेर बिरहा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा
घूम घूम बदरा
झूम झूम बदरा
गिरै पनिया पनारा होइ जाय गड़हा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा
धार धार बदरा
जइसे गिरै मुसरा
भरे खेतवा कियारी उतिराय बरहा
चुवे बुढ़ऊ क घर गिरि जाय मड़हा
</poem>