Changes

{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'
}}
{{KKCatKavita}}
[[Category: मुक्तक]]
<poem>
1जीवन की इस कर्मभूमि में ,ठीक नहीं है बैठे रहना ।रहना।
बहुत ज़रूरी है जीवन में
सबकी सुनना ,अपनी कहना ।कहना।2
सुख जो पाए हम मुस्काए,
आँसू आए उनको सहना ।सहना।
रुककर पानी सड़ जाता है,
नदी सरीखे निशदिन बहना
[21जून3सपना ही सही ,2009 ]सजाए रखिए ज़िन्दगी का भ्रम बनाए रखिए हसरतें हज़ार हैं, ज़िन्दगी है कुछ तो उम्मीद बचाए रखिए ।  </Poempoem>