गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
अपाहज दिनों की निदामत / जावेद अनवर
No change in size
,
18:31, 29 अप्रैल 2019
अपने ही ख़ून की दलदलों में खिलूँ
भाईयों
भाइयों
की फटी आस्तीनों में
बहनों के सजदों में
माँ बाप के बे-ज़बाँ दर्द में अधजले सिगरटों का तमाशा बनूँ
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
54,279
edits