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34कँटीली राहेंपथरीली चढ़ाईहाथ थामना !35'''खड़े हैं लाखों''' रक्तपायी पथ मेंबचके चलो !36शंकित दृष्टिबींधती तन-मनदग्ध जीवन !37भाग्य का लेखा भला करके भी तो सुख न देखा !38तुम्हारी आँखें-आँसू का समन्दर पीना मैं चाहूँ।39पोंछ लो आँखेंसीने में छुप जाओक्रूर हैं घेरे ।40यज्ञ रचायामन्त्र भी पढ़े सभीशाप न छूटा।41जलती रहीसमिधा बन नारी राख ही बची ।42छूटे तो छूटे चाहे प्राण अपने !हाथ न छूटे।43सिन्धु तरेंगेंविश्वास की है नैयापार करेंगे।
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