{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार= रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु' 1|संग्रह= }}[[Category:हाइकु]]<poem>64जग सुन्दरसुन्दर मन -तालभावों की छाया ।65सूने हैं तटआती नहीं आहटनीर अधीर।66थकीं लहरेंबाँचे अनवरततीर की पीर।67नहाने आतेजब चाँद -सितारेतट हर्षाते ।68नदियाँ सूखींउजड़े पनघटगलियाँ मौन।'''-0-7/2/2015''' 69
प्राण सींचती
सामगान -सी वाणी
सद्यस्नाता- सी।
270
नश्वर काया
तुम्हारी मोहमाया
बाँधे है मुझे।
371
आँसू तुम्हारे
भिगोएँ मेरा सीना
मैं बड़भागी।
472
रातों में जागूँ
तुम्हारे लिए ही मैं
दुआएँ माँगूँ .।73अंक में भरोउलझी नेह -डोरसुलझा भी दो।74प्राण अटकेतुम न मिल सकेहम भटके।75आँसू से धोएसभी जीवन-द्वार मिला न प्यार। </poem>