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"बात दिल की सुन लूं ज़रा / ऋषिपाल धीमान ऋषि" के अवतरणों में अंतर
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बात दिल की सुन लूं ज़रा
क्यों ख़फ़ा हूँ बता लूं ज़रा।
बर्क़ का क़हर देखूंगा में
आशियाँ तो बना लूं ज़रा।
ज़हर नफ़रत का बढ़ने लगा
प्यार का गीत गा लूं ज़रा।
तुझसे भी मैं मिलूंगा खुशी
आंख ग़म से मिला लूं ज़रा।
कोई साया है दर पर मेरे
आंसुओं को सुखा लूं ज़रा।
उनको छू आई है तू हवा
आ गले से लगा लूं ज़रा।
ऐ अहम फिर सुनूँगा तेरी
रूठे हैं वो मना लूं ज़रा।