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दोहे-8 / दरवेश भारती

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सखे, न संदीपनि रहे, रहे न विश्वामित्र।
इस गडमड माहौल में, कुण्ठित हुआ विवेक॥
राजनीति के मंच पर, देखे देखे8 अजब चरित्र।होकर शिष्ट-विशिष्ट भी, करते कर्म दरिद्र॥विचित्र॥
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