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दोहे-8 / दरवेश भारती
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10:10, 11 जून 2019
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सखे, न संदीपनि रहे, रहे न विश्वामित्र।
इस गडमड माहौल में, कुण्ठित हुआ विवेक॥
राजनीति के मंच पर,
देखे
देखे8
अजब चरित्र।होकर शिष्ट-विशिष्ट भी, करते कर्म
दरिद्र॥
विचित्र॥
</poem>
Sharda suman
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