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"पतंग / नीलम पारीक" के अवतरणों में अंतर

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मन रे चरखे पर
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जद कदैई देखूं
भावनावां री रँगराती रुई री
+
आकासां उड़ता पतंग
कंवळाइ स्यूं बणा बणा पूनीयां
+
रंग बिरंगा
नित कातीजे प्रीत रो
+
लाल, पीला, नीला, धोला,
काचो सूत
+
उड़ता, लहरांता, पेच लडान्ता,
मींयो मींयो
+
तो लागे जाणे मैं भी
सांसा रे ताने-बाने बुणीजे
+
एक पतंग ही तो हूँ
लाल, गुलाबी,हरी, पीली चूनड़ी
+
जिणरी डोर कोई रे हाथ में नी
सुपणे रे आकास स्यूं तोड़
+
फगत एक तार स्यूं बांधर छोड़ दी है
टाँकीजे झिल-मिल तारा
+
उड़ तो सकूँ
हेत रे रेसम स्यूं
+
पर उतनो ही
काढीजे फूल-पतियाँ
+
जित्ती डोर अरगनी स्यूं बन्धी है
पे'र-ओढ़ प्रीत बावरी
+
ना आगे न लारे
नित जोवे प्रीतम री बाट
+
कोई रे हाथ में ही नी है
जो सात समन्दरा पार
+
फेर भी बस बन्धी बन्धी सी
बैठ्यो हेत बिसार
+
काश या तो कोई थाम ले डोर
कांई ठा कद बावड़सी
+
या फेर टूट ही जावे
प्रीत बावरी कद जाणे
+
कीं तो हो
बस नित काते
+
के ठा किस्मत कीं सावळ ही हो
मन रे चरखे पर
+
लाग जावे ऊपर ली हवा
भावनावां री रँगराती रुई
+
और मैं उड़ती जाऊँ
 +
उड़ती जाऊँ
 +
दूर गिगना स्यूं पार
 +
अर जा मिलूं
 +
साँवरे सेती
 +
जा मिलूं साँवरे सेती
 
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17:52, 25 जून 2019 के समय का अवतरण

जद कदैई देखूं
आकासां उड़ता पतंग
रंग बिरंगा
लाल, पीला, नीला, धोला,
उड़ता, लहरांता, पेच लडान्ता,
तो लागे जाणे मैं भी
एक पतंग ही तो हूँ
जिणरी डोर कोई रे हाथ में नी
फगत एक तार स्यूं बांधर छोड़ दी है
उड़ तो सकूँ
पर उतनो ही
जित्ती डोर अरगनी स्यूं बन्धी है
ना आगे न लारे
कोई रे हाथ में ही नी है
फेर भी बस बन्धी बन्धी सी
काश या तो कोई थाम ले डोर
या फेर टूट ही जावे
कीं तो हो
के ठा किस्मत कीं सावळ ही हो
लाग जावे ऊपर ली हवा
और मैं उड़ती जाऊँ
उड़ती जाऊँ
दूर गिगना स्यूं पार
अर जा मिलूं
साँवरे सेती
जा मिलूं साँवरे सेती