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"इनमें खो जाऊँ / कविता भट्ट" के अवतरणों में अंतर
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+ | सुरीली हवाओं के उन्नत पर्वतों को चुम्बन | ||
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+ | कन्या-सी सजी शांति लिये पुष्पमाला | ||
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+ | कभी गुनगुनाती, कभी गुदगुदाती | ||
+ | धूप प्रेयसी-सी उँगलियाँ फिराती | ||
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+ | मंगल गाते वृक्ष-लताएँ लिपटे समवेत | ||
+ | स्वर्ग को जाती सुन्दर सीढ़ियों-से खेत | ||
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+ | पक्षी-युगल की ये प्रणय रत कतारें | ||
+ | मृग-कस्तूरी-सी सुगन्धित अनुपम बयारें | ||
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+ | अपनी ही प्रतिध्वनि कुछ ऐसे लौट आए | ||
+ | जैसे प्रेयसी को उसका प्रियतम बुलाए | ||
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+ | इस प्रतिध्वनि में डूब ऐसे खो जाऊँ | ||
+ | पद-धन-मान छोड़ '''बस इनमें खो जाऊँ''' !! | ||
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09:02, 28 जून 2019 के समय का अवतरण
ये घुँघरू बजाती अप्सराओं-सी नदियाँ
अभिसार को आतुर ये सलोनी बदलियाँ
बर्फीले बिछौनों पर ये अनुपम आलिंगन
सुरीली हवाओं के उन्नत पर्वतों को चुम्बन
ये घाटी, ये चोटी, ये उन्नत हिमाला
कन्या-सी सजी शांति लिये पुष्पमाला
कभी गुनगुनाती, कभी गुदगुदाती
धूप प्रेयसी-सी उँगलियाँ फिराती
मंगल गाते वृक्ष-लताएँ लिपटे समवेत
स्वर्ग को जाती सुन्दर सीढ़ियों-से खेत
पक्षी-युगल की ये प्रणय रत कतारें
मृग-कस्तूरी-सी सुगन्धित अनुपम बयारें
अपनी ही प्रतिध्वनि कुछ ऐसे लौट आए
जैसे प्रेयसी को उसका प्रियतम बुलाए
इस प्रतिध्वनि में डूब ऐसे खो जाऊँ
पद-धन-मान छोड़ बस इनमें खो जाऊँ !!