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− | + | गले में टाई होठों पर | |
− | + | हनुमान चलीसा | |
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− | + | जो जीता है वही सिकंदर | |
− | + | अपराधी पहुंचे संसद में | |
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− | + | आजादी का तांडव देखा | |
− | + | लाल किले से | |
− | + | गए काम से | |
− | + | गांधीजी के तीनों बंदर | |
− | + | धन बल से अब कद जीवन का | |
− | + | लगा है नपने | |
− | + | दूर-दूर तक जीभ निकाले | |
− | + | फिरते सपने | |
− | + | यही प्रगति है बाहर हंँसते | |
− | + | रोते भीतर | |
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23:42, 6 जुलाई 2019 के समय का अवतरण
लगा छलांगें
पार हो गए सात समंदर
शिक्षा के बेढंगेपन ने
ऐसा पीसा
गले में टाई होठों पर
हनुमान चलीसा
किसी युक्ति से
जो जीता है वही सिकंदर
अपराधी पहुंचे संसद में
अच्छे खासे
आजादी का तांडव देखा
लाल किले से
गए काम से
गांधीजी के तीनों बंदर
धन बल से अब कद जीवन का
लगा है नपने
दूर-दूर तक जीभ निकाले
फिरते सपने
यही प्रगति है बाहर हंँसते
रोते भीतर