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मिटकर आओ / सुभाष राय
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16:18, 26 जुलाई 2019
<poem>
नहीं, तुम प्रवेश नहीं कर सकते यहाँ
दरवाजे
दरवाज़े
बन्द हैं तुम्हारे लिए
यह खाला का घर नहीं कि जब चाहा चले आए
अनिल जनविजय
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