भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"पइसा के गरमी / उमेश शर्मा" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=उमेश शर्मा |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatChh...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
(कोई अंतर नहीं)

00:11, 5 अगस्त 2019 के समय का अवतरण

इर्रा असन चढ़थे रे पइसा के गरमी,
बेचावत हे पइसा बार बड़े बड़े करमी।
पइसा के सुख ले सूखावत हे मनखे म,
दया-मया धरम-करम सब्बों के नरमी।

रेती असन उड़त हवे मन के हवा म।
पोसे वर तन ला आपण, ढाने के दवा म ।
तन भरही, मन ला कइसन भरते बता,
जानय नहीं, पूछव कहिलाथे जोन धरमी।

आवे नहीं गाय बर गवैया हें सव्व,
वारी आही जाहीं जावैया हें सव्व।
का लेके आथे, का लेके जाही,
जनैया ला जान दुनिया के मरमी।

सुतइंया ला सूतन दे, तें हा तो जाग,
लूटत हवे दुनियां, बचा ले अपन भाग।
गरभा आस जीवत हे मनखे के जात,
नाचत हवे आंखी म निच्चट बेसरमी।

ठर्रा असन चढ़थे रे पइसा के गरमी,
बेचावत हें पइसा वर बड़े बड़े करमी।
पइसा के सुख ले सुखावत हे मनखे म,
दया-मया, धरम-करम सव्वो के नरमी