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− | |कृतियाँ= | + | |कृतियाँ=हवा में बनी दुनिया (1935), बच्चे और अल्लाह (1940), पाषाण युग (1945), तीन शहीदों की दास्तान (1949), माँ धरती (1950), अतातुर्क का मक़बरा (1953), अल्जीरियाई गीत (1961), ग़ज़लें (1965), तेल (1965), हमारी वो वियतनाम की लड़ाई (1966), हिरोशिमा (1970), स्वतन्त्रता सँग्राम - 30 अगस्त (1973), ग़ाज़ी मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क (1973), पृथ्वी के बच्चे (1974), |
− | |विविध= | + | सात भालू (1978), शरारती शब्द (1979), न्यूट्रॉन बम (1981), उपनामों का युग (1986) और भाषाई कम्प्यूटर (1992) सहित कुळ 63 कविता-सँग्रह) |
+ | |विविध=तुर्की के विख्यात कवि हैं, जिनके कुल 63 कविता-सँग्रह प्रकाशित हुए हैं। इन्होने कविताओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं लिखा। शुरुआती दौर में इनकी कविताएँ मनुष्य और ब्रह्माण्ड तथा प्रकृति और अलौकिक के रिश्तों की पड़ताल करती हैं। 50 के दशक में मनुष्य और समाज के रिश्तों की पड़ताल इनकी कविताओं का मूल आशय है। 60 के दशक में इनकी कविताएँ शोषण और साम्राज्यवाद के विरुद्ध प्रताड़ित जनता के सँघर्ष के साथ खड़ी होती है। बच्चों के लिए भी इन्होंने बहुत सारी कविताएँ लिखी हैं। कविता के बारे में इनका यह मानना है कि,"कविता को उन तत्वों पर बल देना चाहिए जो एक समाज को एक राष्ट्र में तब्दील करते हैं। | ||
|जीवनी=[[फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / परिचय]] | |जीवनी=[[फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / परिचय]] | ||
|अंग्रेज़ीनाम=Fazıl Husnu Daglarca | |अंग्रेज़ीनाम=Fazıl Husnu Daglarca |
00:09, 26 अगस्त 2019 का अवतरण
फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा
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जन्म | 26 अगस्त 1914 |
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निधन | 15 अक्तूबर 2008 |
उपनाम | Fazıl Hüsnü Dağlarca |
जन्म स्थान | इस्ताम्बूल, तुर्की |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
हवा में बनी दुनिया (1935), बच्चे और अल्लाह (1940), पाषाण युग (1945), तीन शहीदों की दास्तान (1949), माँ धरती (1950), अतातुर्क का मक़बरा (1953), अल्जीरियाई गीत (1961), ग़ज़लें (1965), तेल (1965), हमारी वो वियतनाम की लड़ाई (1966), हिरोशिमा (1970), स्वतन्त्रता सँग्राम - 30 अगस्त (1973), ग़ाज़ी मुस्तफ़ा कमाल अतातुर्क (1973), पृथ्वी के बच्चे (1974),
सात भालू (1978), शरारती शब्द (1979), न्यूट्रॉन बम (1981), उपनामों का युग (1986) और भाषाई कम्प्यूटर (1992) सहित कुळ 63 कविता-सँग्रह) | |
विविध | |
तुर्की के विख्यात कवि हैं, जिनके कुल 63 कविता-सँग्रह प्रकाशित हुए हैं। इन्होने कविताओं के अतिरिक्त और कुछ नहीं लिखा। शुरुआती दौर में इनकी कविताएँ मनुष्य और ब्रह्माण्ड तथा प्रकृति और अलौकिक के रिश्तों की पड़ताल करती हैं। 50 के दशक में मनुष्य और समाज के रिश्तों की पड़ताल इनकी कविताओं का मूल आशय है। 60 के दशक में इनकी कविताएँ शोषण और साम्राज्यवाद के विरुद्ध प्रताड़ित जनता के सँघर्ष के साथ खड़ी होती है। बच्चों के लिए भी इन्होंने बहुत सारी कविताएँ लिखी हैं। कविता के बारे में इनका यह मानना है कि,"कविता को उन तत्वों पर बल देना चाहिए जो एक समाज को एक राष्ट्र में तब्दील करते हैं। | |
जीवन परिचय | |
फ़ाज़िल हुस्नु दगलार्चा / परिचय |