[[Category:हाइकु]]
<poem>
74
कोहरा छँटा
अपने -पराए का
भेद भी जाना।
75
निकष तुम
रिश्तों की उतरी है
झूठी कलई ।
76
वक्त ने कहा-
माना मैं बुरा सही
छली तो छूटे।
77
बात अधूरी
तरसूँ रात दिन
दिखे न चाँद।
85दुग्ध धवलछिटकी है चंद्रिकाभोली मुस्कान।86साथी सन्नाटाजगा है रात -0-दिन मूक पहरा।
</poem>