गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
आयोनी / कंस्तांतिन कवाफ़ी / सुरेश सलिल
4 bytes added
,
17:20, 30 सितम्बर 2019
और कभी कभी
एक युवा सुकुमार
आऔति
आकृति
अस्पष्ट
द्रुतगामी उड़ान में
तुम्हारी पहाड़ियों के
आरपार पंख
आर-पार पँख
पसारती है ।
[1911]
अनिल जनविजय
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
53,693
edits