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नवगीत / प्रताप नारायण सिंह

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* [[रम्य प्रभात / प्रताप नारायण सिंह]]* [[एक दिनमैं और तुम, बस तुम / प्रताप नारायण सिंह]]बीच में कोई न हो  खटकरम सब ज़िन्दगी के लुप्त हों कष्ट, चिंताएँ सभी ही सुप्त हों  दृष्टि बाँधेबस गदोलीगुदगुदाती तुम रहो  कोई आहट या प्रतीक्षा * [[ये अँधेरे भी न हो रहेंगे / प्रताप नारायण सिंह]]बाह्य जग की कोई इच्छा भी न हो * [[चुप्पी तोड़ो / प्रताप नारायण सिंह]]* [[मुझको माफ़ करना / प्रताप नारायण सिंह]]मैं कहूँ जो* [[हुई आज तो होली है / प्रताप नारायण सिंह]]तुम सुनो, बस मैं सुनूँ जो तुम कहो फूटता अंतः-क्षितिज से गीत हो प्राण * [[खुद को जोड़े हृदय-संगीत हो निहारें / प्रताप नारायण सिंह]]* [[आजकल / प्रताप नारायण सिंह]]बाँह धर * [[अब भी घुटनों के बल चलता / प्रताप नारायण सिंह]]तुममें बहूँ मैंऔर तुम मुझमें बहो  हम झुलाएँ साँझ, दुपहर, भोर कोपालना कर पूर्व-पश्चिम छोर को* [[सोचता जब तक / प्रताप नारायण सिंह]]