Changes

प्रीति / रामधारी सिंह "दिनकर"

37 bytes added, 14:53, 15 नवम्बर 2019
वर्तनी की त्रुटि ठीक की गयी
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
::::[१]
प्रीति न और्ण अरुण साँझ के घन सखि!
::पल-भर चमक बिखर जाते जो
::मना कनक-गोधूलि-लगन सखि!