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यादें / लावण्या शाह

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लेखक: [[अटल बिहारी वाजपेयी]]{{KKGlobal}}[[Category:कविताएँ]]{{KKRachna[[Category:अटल बिहारी वाजपेयी]]|रचनाकार=लावण्या शाह ~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~*~}}
घर से जितनी दूरी तन की,<br>
अम्मा के लिपटे हाथ आटे से,<br>
फिर सोँधी रोटी की खुशबु,<br>
बहनोँ का? वह निस्छल निश्छल हँसना<br>साथ साथ, रातोँ तक को जगना !<br>
वे शैशव के दिन थे न्यारे,<br>
आसमान पर कितने तारे!<br>
कितनी परियाँ रोज उतरतीँ,<br>
मेरे सप्नोँ सपनोँ मेँ आ आ कर मिलतीँ.<br>?" क्या भूलूँ, क्या याद करूँ ? "<br>
मेरे घर को या अपने बचपन को ?<br>
कितनी दूर घर का अब रस्ता,<br>
कौन वहाँ मेरा अब रस्ता तकता ?<br>
अपने अनुभव की इस पुडिया पुड़िया को,<br>रक्खा है सहेज, सुन ओ मेरी ,गुडिया गुड़िया !<br><br>