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कुछ शेर-दोहे / कुमार मुकुल

211 bytes added, 05:33, 27 दिसम्बर 2019
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जिगर के दर्द से अपने
दिये जो हमने बाले हैं
उसी से तीरगी है यह
उसी से यह उजाले हैं।
 
तिरा शौक तुझको बहाल हो, हो जीना मेरा मुहाल हो
तू बढा करे यूं ही चांद सा, मिरा समंदरों सा हाल हो।
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