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"दयालुता / मौरिस करेम / अनिल जनविजय" के अवतरणों में अंतर

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ईमानदारी के साथ
 
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अपना सेब बाँटने के लिए ।
 
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'''रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय'''
 
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18:11, 22 मार्च 2020 के समय का अवतरण

मेज़ सजाने के लिए
एक सेब पूरा नहीं पड़ता
बाग़ खिलने के लिए 
सिर्फ़ सेब के पेड़ पूरे नहीं पड़ते

लेकिन मनुष्य पूरा पड़ता है
दूसरों से
ईमानदारी के साथ
अपना सेब बाँटने के लिए ।

रूसी से अनुवाद : अनिल जनविजय