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{{KKGlobal}}{{KKRachna|रचनाकार=गिरिराज किराडू}}
मैं जानता हूं आपने सब कुछ देखा हुआ ही है
ताजा पत्तियों के बीच इस तरह का खेल देखा होने की बात कभी कभी करते हैं
और कभी-कभी ही कई कवि इस तरह एक दूसरे को पकड़ते छोड़ते हुए
और कभी-कभी ही कई कवि इस तरह एक दूसरे को पकड़ते छोड़ते हुए बच्चों की तरह दौड़ रहे होते हैं  कि रोशनी उन सबके बीच फंसे कमजोर थके हारे खिलाड़ी की तरह खेल से बाहर होने लगती है 
खैर,यह सब सादृश्य विधान है, आपने देखा ही होगा
 
पर क्या आईने के बीच गिरती पड़ती उछलती उस चंचला को आपने देखा है?
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