भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कुतबन" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKParichay |चित्र= |नाम=कुतबन |उपनाम= |जन्म= |जन्मस्थान=...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
|जन्म= | |जन्म= | ||
− | |जन्मस्थान= | + | |जन्मस्थान=जौनपुर ज़िले का कोई गांव |
|मृत्यु= | |मृत्यु= | ||
|कृतियाँ=मिरगावती | |कृतियाँ=मिरगावती | ||
− | |विविध= | + | |विविध= 'काशी' (वर्तमान बनारस) में हरतीरथ मुहल्ले की चौमुहानी से पूरब की ओर लगभग एक फलाँग की दूरी पर 'कुतबन शहीद' नामक एक मुहल्ला है। वहीं एक मज़ार है, जो कुतबन की मज़ार के नाम से प्रसिद्ध है। कदाचित वह इन्हीं कुतबन की क़ब्र है।कुतबन हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि थे, जिन्होंने मौलाना दाऊद के 'चन्दायन' की परम्परा में सन 1503 ई. में 'मृगावती' नामक प्रेमाख्यानक काव्य की रचना की। 'मृगावती' किसी पूर्व प्रचलित कथा के आधार पर लिखा गया है। इसमें दोहा, चौपाई, सोरठा, अरिल्ल आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है, किन्तु इसकी शैली प्राकृत काव्यों का अनुकरण पर कड़वक वाली है। अपनी रचना 'मृगावती' में कुतबन ने चन्द्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कँचनपुर के राजा रूपमुरारी की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत् प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफ़ियों की शैली के बड़े सुन्दर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं। |
|जीवनी=[[कुतबन / परिचय]] | |जीवनी=[[कुतबन / परिचय]] | ||
|अंग्रेज़ीनाम=Kutuban | |अंग्रेज़ीनाम=Kutuban |
05:46, 28 अप्रैल 2020 का अवतरण
कुतबन
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | जौनपुर ज़िले का कोई गांव |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
मिरगावती | |
विविध | |
'काशी' (वर्तमान बनारस) में हरतीरथ मुहल्ले की चौमुहानी से पूरब की ओर लगभग एक फलाँग की दूरी पर 'कुतबन शहीद' नामक एक मुहल्ला है। वहीं एक मज़ार है, जो कुतबन की मज़ार के नाम से प्रसिद्ध है। कदाचित वह इन्हीं कुतबन की क़ब्र है।कुतबन हिन्दी के प्रसिद्ध सूफ़ी कवि थे, जिन्होंने मौलाना दाऊद के 'चन्दायन' की परम्परा में सन 1503 ई. में 'मृगावती' नामक प्रेमाख्यानक काव्य की रचना की। 'मृगावती' किसी पूर्व प्रचलित कथा के आधार पर लिखा गया है। इसमें दोहा, चौपाई, सोरठा, अरिल्ल आदि छन्दों का प्रयोग किया गया है, किन्तु इसकी शैली प्राकृत काव्यों का अनुकरण पर कड़वक वाली है। अपनी रचना 'मृगावती' में कुतबन ने चन्द्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कँचनपुर के राजा रूपमुरारी की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत् प्रेम का स्वरूप दिखाया है। बीच-बीच में सूफ़ियों की शैली के बड़े सुन्दर रहस्यमय आध्यात्मिक आभास हैं। | |
जीवन परिचय | |
कुतबन / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
'मिरगावती' में कुतबन ने चंद्रनगर के राजा गणपतिदेव के राजकुमार और कंचनपुर के राजा रूपमुरारि की कन्या मृगावती की प्रेमकथा का वर्णन किया है। इस कहानी के द्वारा कवि ने प्रेममार्ग के त्याग और कष्ट का निरूपण करके साधक के भगवत्प्रेम का स्वरूप दिखाया है।
भक्तिकालीन रचनाकार | ||
ज्ञानाश्रयी शाखा | कबीर • रैदास • मलूकदास • दादू दयाल • गुरु नानकदेव • सुंदरदास • धनी धरमदास | |
प्रेमाश्रयी शाखा | कुतबन • मंझन • मलिक मोहम्मद जायसी • उसमान • शेख नबी • कासिमशाह • नूर मुहम्मद | |
रामाश्रयी शाखा | तुलसीदास • अग्रदास • प्राणचंद चौहान • हृदयराम | |
कृष्णाश्रयी शाखा | वल्लभाचार्य • अष्टछाप ( सूरदास • कुम्भनदास • परमानंददास • कृष्णदास • छीतस्वामी • गोविन्दस्वामी • चतुर्भुजदास • नंददास ) • हितहरिवंश • गदाधर भट्ट • मीराबाई • हरिदास • सूरदास मदनमोहन • श्रीभट्ट • हरिराम व्यास • रसखान • ध्रुवदास |
|
अन्य कवि | छीहल • लालचदास • कृपाराम • नरहरि बंदीजन • नरोत्तमदास • आलम • टोडरमल • बीरबल • गँग • मनोहर कवि • बलभद्र मिश्र • जमाल • केशवदास • होलराय • रहीम • कादिर • मुबारक • बनारसीदास • सेनापति • पुहकर कवि • सुँदर • लाल कवि | |