भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"उज्यालोको चाहनामै / गीता त्रिपाठी" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= गीता त्रिपाठी |अनुवादक= |संग्रह=थ...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
12:19, 3 मई 2020 के समय का अवतरण
थाकिसकेँ जीवनदेखि हारेँ सबैसित
वेदनाको तुवाँलोले छायो मनभित्र
वैरी भई पन्छिए ती दिन्थे जस्ले साथ
उज्यालोको चाहनामै पर्यो जीवनरात
हृदयमा परेका छन् चोट कति थरी
थोपा बनी सजिएछन् आँसु गहभरि
गरेँ जीवनमा कति भूल छैन याद
उज्यालोको चाहनामै पर्यो जीवनरात
दिए धोका मानिसले मानिसलाई आज
छिप्यो खुसी मानिसको मानिसकै माझ
निभ्यो दीप हृदयको छोडी तातो राप
उज्यालोको चाहनामै पर्यो जीवनरात
•