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"अनुपस्थिति / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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15:20, 18 जून 2020 के समय का अवतरण
यहाँ बचपन में गिरी थी बर्फ़
पहाड़ पेड़ आंगन सीढ़ियों पर
उन पर चलते हुए हम रोज़ एक रास्ता बनाते थे
बाद में जब मैं बड़ा हुआ
देखा बर्फ़ को पिघलते हुए
कुछ देर चमकता रहा पानी
अन्तत: उसे उड़ा दिया धूप ने ।
( रचनाकाल : 1996)