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|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत
|संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत}}{{KKCatKavita}}
<poem>
(मित्रों से क्षमा सहित)
मैं था ज़हरीला साँप
मित्रोमित्रों, तुम्हें नहीं मालूम कि साँप
होता है कितना निष्कपट
रहता है जमीन के नीचे