Changes

{{KKGlobal}}
 
{{KKRachna
 
|रचनाकार=श्रीनिवास श्रीकांत
|संग्रह=घर एक यात्रा है / श्रीनिवास श्रीकांत
}}{{KKCatKavita}}<poem>aagrah
(मित्रों से क्षमा सहित)
मित्रो, मैं मर जाऊँ
सहज ही समझ जाएँगी
मैं था एक ज़हरीला साँप।
</poem>Mukesh Negi
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader, प्रबंधक
35,141
edits