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"पहाड़ / मंगलेश डबराल" के अवतरणों में अंतर
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14:27, 20 जून 2020 के समय का अवतरण
पहाड़ पर चढ़ते हुए
तुम्हारी साँस फूल जाती है
आवाज़ भर्राने लगती है
तुम्हारा क़द भी घिसने लगता है
पहाड़ तब भी है जब तुम नही हो ।
(रचनाकाल :1975)