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उसके पास रोटी थी,किन्तु भूख नहीं थी। मेरे पास भूख तो थी,किन्तु रोटी नहीं थी। खपा वह भूख के लिए,मिटा मैं रोटी के लिए।भूख-रोटी दो विषयों पर,बीत गए युग व युगान्तर। संघर्ष रुका नहीं अब भी,समय तो धृतराष्ट्र था ही।किन्तु; प्रश्न तो यह है भारीइतिहास क्यों बना गान्धारी ?
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