Changes

किरणें / पवन चौहान

11 bytes removed, 15:05, 2 जुलाई 2020
मैं उस दिन उदास हो जाता हूँ
जिस रोज वे नहीं आतीं
और एक माँ की तरह चुमकर चूमकर
मुझे नहीं जगाती
नया सवेरा लाती हैं
आज...
ऑंखों आँखों पर पड़ते ही
नींद मेरी खुलते ही
किरणें हॅंस हँस पड़ींबोली- हैलो, क्या हाल हैंहै?मैं अंगड़ाई लेकर हॅंस हँस पड़ाबोला- आइए, आपका स्वागत है।है!
</poem>
359
edits