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ततैया का घर / अरुण देव

No change in size, 18:43, 17 जुलाई 2020
उनके पीताभ की कोई आभा नहीं
वे बेवजह डँक डंक नहीं मारतीं
आदमी आदमी के विष का इतना अभ्यस्त है कि
डर में रहता है
स्त्रियों के भय को समझा जा सकता है
उनके ऊपर तो वैसे ही चुभे हुए डँक डंक हैं
छत्ते जो दीवार में कहीं लटके रहते हैं
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