"तुम्हारा प्रेम / आनंद गुप्ता" के अवतरणों में अंतर
Sharda suman (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आनंद गुप्ता |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCat...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
Arti Singh (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 9: | पंक्ति 9: | ||
तुम्हारा प्रेम बारिश की बूँदें है | तुम्हारा प्रेम बारिश की बूँदें है | ||
कल सारी रात बरसता रहा आकाश | कल सारी रात बरसता रहा आकाश | ||
− | मैं एक पेड़ बन | + | मैं एक पेड़ बन भीगता रहा |
− | तुम मेरी जड़ों में घुलती रही रात भर | + | तुम मेरी जड़ों में घुलती रही रात भर! |
देखो न तुम्हारी छुअन से | देखो न तुम्हारी छुअन से | ||
पत्ती-पत्ती,डाल-डाल,फूल-फूल | पत्ती-पत्ती,डाल-डाल,फूल-फूल | ||
पंक्ति 25: | पंक्ति 25: | ||
बंगाल की खाड़ी से उठती | बंगाल की खाड़ी से उठती | ||
मानसूनी हवाओं की नमी | मानसूनी हवाओं की नमी | ||
− | तुम्हारे बालो को | + | तुम्हारे बालो को भिगोती |
तुम्हारी आँखों में उतर आई है इस वक्त | तुम्हारी आँखों में उतर आई है इस वक्त | ||
इस वक्त तुम्हारी आँखें | इस वक्त तुम्हारी आँखें |
15:05, 19 जुलाई 2020 के समय का अवतरण
तुम्हारा प्रेम बारिश की बूँदें है
कल सारी रात बरसता रहा आकाश
मैं एक पेड़ बन भीगता रहा
तुम मेरी जड़ों में घुलती रही रात भर!
देखो न तुम्हारी छुअन से
पत्ती-पत्ती,डाल-डाल,फूल-फूल
दूर तक फैले घास
झिलमिला रहा है सब कुछ
बारिश से धुल कर सुबह की धूप
तुम्हारी कोमल हँसी की तरह पवित्र बन
मेरे चेहरे पर गिरती है
मेरे अंदर खिल उठते हैं कई-कई कमल
तुम खिड़कियों से दूर बहती
हुगली नदी सा उद्दाम
इस वक्त बह रही हो मेरी नसों में
मेरा हृदय वह सागर जहाँ तुम्हें उतरना है
बंगाल की खाड़ी से उठती
मानसूनी हवाओं की नमी
तुम्हारे बालो को भिगोती
तुम्हारी आँखों में उतर आई है इस वक्त
इस वक्त तुम्हारी आँखें
पड़ोस का 'मीठा तालाब' हो गई है
जहाँ सदा आकाश बन झिलमिलाता हूँ
जिसे तैर पार किया अनगिनत बार
पर आज न जाने क्यूँ
मैं डूबा जा रहा हूँ?