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"दुख / नोमान शौक़" के अवतरणों में अंतर
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− | भद्दे काले शब्दों की | + | भद्दे काले शब्दों की<br /> |
− | तेज़ी से चलती रेल के नीचे | + | तेज़ी से चलती रेल के नीचे<br /> |
− | सो जाता है | + | सो जाता है<br /> |
− | कविताओं और ग़ज़लों में | + | कविताओं और ग़ज़लों में<br /> |
बेमानी हो जाता है ! | बेमानी हो जाता है ! |
21:01, 20 सितम्बर 2008 के समय का अवतरण
दुख की अपनी भाषा होती है
सबसे अलग और सबसे जुदा
दुख
पागल लम्हों की पतझड़ आवाज़ें हैं
जिनकी क़ीमत का तख्मीना
उजले काग़ज़ पर
भद्दे काले शब्दों की
तेज़ी से चलती रेल के नीचे
सो जाता है
कविताओं और ग़ज़लों में
बेमानी हो जाता है !