भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"इंसानों का काम / प्रभुदयाल श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रभुदयाल श्रीवास्तव |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया) |
(कोई अंतर नहीं)
|
19:19, 2 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
बल्ब फ्यूज था, हुआ अँधेरा,
हथनी थी घबराई।
चढ़ी पोल पर बल्ब बदलने,
नहीं बदल पर पाई।
बल्ब होल्डर छोटा-सा था,
सूंड मुटल्ली भारी।
काम नहीं पूरा हो पाया,
उतर आई बेचारी।
बल्ब लगाना बल्ब फोड़ना,
इंसानों का काम।
हथनी कैसे कर सकती थी,
इसको अपने नाम।