"ये जंग है जंगे आज़ादी / मख़दूम मोहिउद्दीन" के अवतरणों में अंतर
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आज़ादी के परचम के तले । | आज़ादी के परचम के तले । | ||
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वो दुनिया दुनिया क्या होगी जिस दुनिया में स्वराज न हो | वो दुनिया दुनिया क्या होगी जिस दुनिया में स्वराज न हो | ||
वो आज़ादी आज़ादी क्या मज़दूर का जिसमें राज न हो । | वो आज़ादी आज़ादी क्या मज़दूर का जिसमें राज न हो । | ||
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लो सुर्ख़ सवेरा आता है, आज़ादी का आज़ादी का | लो सुर्ख़ सवेरा आता है, आज़ादी का आज़ादी का | ||
− | गुलनार तराना गाता है, आज़ादी का आज़ादी का | + | गुलनार<ref>फूल की तरह चेहरे वाला</ref> तराना गाता है, आज़ादी का आज़ादी का |
देखो परचम लहराता है, आज़ादी का आज़ादी का । | देखो परचम लहराता है, आज़ादी का आज़ादी का । | ||
13:06, 3 अगस्त 2020 का अवतरण
ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।
हम हिन्द के रहने वालों की, महकूमों<ref>दासों</ref> की मजबूरों की
आज़ादी के मतवालों की दहक़ानों<ref>किसान</ref> की मज़दूरों की
ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।
सारा संसार हमारा है, पूरब पच्छिम उत्तर दक्कन
हम अफ़रंगी हम अमरीकी हम चीनी जांबाज़ाने वतन
हम सुर्ख़ सिपाही जुल्म शिकन,<ref>जुल्मों के ख़िलाफ़ लड़ने वाले</ref> आहनपैकर<ref>लोहे के शरीर वाले</ref> फ़ौलादबदन<ref>इस्पाती शरीर वाले</ref> ।
ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।
वो जंग ही क्या वो अमन ही क्या दुश्मन जिसमें ताराज<ref>नष्ट, बरबाद</ref> न हो
वो दुनिया दुनिया क्या होगी जिस दुनिया में स्वराज न हो
वो आज़ादी आज़ादी क्या मज़दूर का जिसमें राज न हो ।
ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।
लो सुर्ख़ सवेरा आता है, आज़ादी का आज़ादी का
गुलनार<ref>फूल की तरह चेहरे वाला</ref> तराना गाता है, आज़ादी का आज़ादी का
देखो परचम लहराता है, आज़ादी का आज़ादी का ।
ये जंग है जंगे आज़ादी
आज़ादी के परचम के तले ।