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"गुमेको यौवन / अजिता गहरमन / सुमन पोखरेल" के अवतरणों में अंतर
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14:27, 22 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
के भनिरहेछौ तिमी
त्यस्ता हरिया शब्दमा ?
के वसन्त नाङ्गै भएर
मेरा अस्थिभित्र चलमलाओस् भन्दैछौ?
केही बितेर गयो,
ज्वालाजस्तो कुनै चिज निभिसक्यो...
र हामी नग्न छौँ
यो भत्किएको दलिनमुनि ।
तारा चर्किएका हाम्रा गोडामा बेरिएका छन्
उघ्रिएको रात
र खसेको कालो सिल्क।
आफ्ना चाउरी परेका हातमा हेर्छु म,
र झलक्क हेर्छु आफ्ना बुढिएका हत्केलामा
अनि एकाएक थाह पाउँछु यी सबै कुरा ।