{{KKRachna
|रचनाकार=रामधारी सिंह "दिनकर"
|अनुवादक=
|संग्रह=रश्मिमाला / रामधारी सिंह "दिनकर"
}}{{KKCatKavita}}<poem>विश्व-विभव की अमर वेलि पर 
फूलों-सा खिलना तेरा। 
शक्ति-यान पर चढ़कर वह 
से न जगत सकता है भूल। 
अब भी उस सौरभ से सुरभित 
हैं कालिन्दी के कल-कूल। 
</poem>