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|विविध= गुयाना जन ब्रिटेन का गुलाम था तो पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी की स्थापना। उसके बाद  देश की आज़ादी के लिए संघर्ष। कई बार लम्बे-लम्बे समय केलिए जेल-यात्राएँ। बाद में उन पर उग्रवादी वामपन्थी होने का आरोप लगाकर उन्हें उनकी ही पार्टी से निकाल दिया गया। 1966 में गुयाना को आज़ादी मिलने के बाद आज़ाग गुयाना के पहले सूचना और संस्कृति मन्त्री बने, फिर सँयुक्त राष्ट्र संघ में गुयाना के प्रतिनिधि बने। लेकिन जल्दी ही राजनीति से उनका मन ऊब गया और वे सिर्फ़ कवि के रूप में ही जीवन जीने लगे।   
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|विविध= गुयाना जन ब्रिटेन का गुलाम था तो पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी की स्थापना। उसके बाद  देश की आज़ादी के लिए संघर्ष। कई बार लम्बे-लम्बे समय केलिए जेल-यात्राएँ। बाद में उन पर उग्रवादी वामपन्थी होने का आरोप लगाकर उन्हें उनकी ही पार्टी से निकाल दिया गया। 1966 में गुयाना को आज़ादी मिलने के बाद आज़ाद गुयाना के पहले सूचना और संस्कृति मन्त्री बने, फिर सँयुक्त राष्ट्र संघ में गुयाना के प्रतिनिधि बने। लेकिन जल्दी ही राजनीति से उनका मन ऊब गया और वे सिर्फ़ कवि के रूप में ही जीवन जीने लगे।   
 
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====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ====
 
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* [मुझे मत ताको, मोहतरमा / मार्टिन कार्टर / अनिल जनविजय]]
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* [[मुझे मत ताको, मोहतरमा / मार्टिन कार्टर / अनिल जनविजय]]
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* [[भूख का विश्वविद्यालय / मार्टिन कार्टर / राजेश चन्द्र]]
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* [[मैं और मेरा भगवान / मार्टिन कार्टर / अक्षय कुमार]]
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* [[भूख हड़ताल के चौथे दिन / मार्टिन कार्टर / अक्षय कुमार]]
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* [[कहीं कोई चिंगारी नहीं / मार्टिन कार्टर / अक्षय कुमार]]

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मार्टिन कार्टर
Martin Carter.jpg
जन्म 07 जून 1927
निधन 13 दिसम्बर 1997
उपनाम
जन्म स्थान जॉर्जटाउन, गुयाना कैरिबियाई द्वीप
कुछ प्रमुख कृतियाँ
आधी रात का गीत (1950), इण्डियन औरत (1950), ब्रिटिश गुयाना की प्रतिरोध भरी कविताएँ (1954), आकार और गति की कविताएँ (1955), मुझे तुरन्त जेल में डालो (1963), उत्तराधिकारी कविताएँ(1977) , परस्पर आकर्षण की कविताएँ (1980), चुनी हुई कविताएँ (1989)
विविध
गुयाना जन ब्रिटेन का गुलाम था तो पीपुल्स प्रोग्रेसिव पार्टी की स्थापना। उसके बाद देश की आज़ादी के लिए संघर्ष। कई बार लम्बे-लम्बे समय केलिए जेल-यात्राएँ। बाद में उन पर उग्रवादी वामपन्थी होने का आरोप लगाकर उन्हें उनकी ही पार्टी से निकाल दिया गया। 1966 में गुयाना को आज़ादी मिलने के बाद आज़ाद गुयाना के पहले सूचना और संस्कृति मन्त्री बने, फिर सँयुक्त राष्ट्र संघ में गुयाना के प्रतिनिधि बने। लेकिन जल्दी ही राजनीति से उनका मन ऊब गया और वे सिर्फ़ कवि के रूप में ही जीवन जीने लगे।
जीवन परिचय
मार्टिन कार्टर / परिचय
कविता कोश पता
www.kavitakosh.org/

कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ